Posts

Showing posts from February, 2023

आदिनाथ दादा

भगवान ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हैं। तीर्थंकर का अर्थ होता है जो तीर्थ की रचना करें। जो संसार सागर (जन्म मरण के चक्र) से मोक्ष तक के तीर्थ की रचना करें, वह तीर्थंकर कहलाते हैं। ऋषभदेव जी को आदिनाथ भी कहा जाता है। भगवान ऋषभदेव वर्तमान अवसर्पिणी काल के प्रथम तीर्थंकर हैं। अन्य नाम आदिनाथ, ऋषभनाथ, वृषभनाथ शिक्षाएं अहिंसा, अपरिग्रह अगले तीर्थंकर अजितनाथ गृहस्थ जीवन वंश     -     इक्ष्वाकु पिता   -      नाभिराज माता   -      महारानी मरूदेवी पुत्र     -      भरत चक्रवर्ती, बाहुबली और वृषभसेन, अनन्तविजय,अनन्तवीर्य आदि 98 पुत्र पुत्री    -       ब्राह्मी और सुंदरी पंचकल्याणक जन्म   -       १०२२४ वर्ष पूर्व जन्म स्थान    -        अयोध्या मोक्ष    -         माघ कृष्ण १४ मोक्ष स्थान   -  अष्टापद पर्वत लक्षण रंग      -  ...

Jamboo Dweep

  Jamboo Dweep Jamboo Dweep Maitreya Jee said - "Hey Muni, Now I wish to hear the account of whole Earth System (Prithvi Mandal). Whatever seas, islands, Varsh (countries), mountains, forests, rivers and Devtaa's Nagaree, their measurements, forms etc are there, I wish to know about them." Parashar said - O Maitreya, Listen, I describe you all this in brief, because they cannot be described even in hundreds of years. There are seven Dweep - Jamboo, Pluksh, Shaalmal, Kush, Kraunch, Shaak, and Pushkar. All these Dweep are surrounded by salted water, Ikshu juice, wine, Ghee (clarified butter), yogurt, milk, and sweet water respectively. Jamboo Dweep Jamboo Dweep is located in the center. In the middle of that Dweep is golden Meru Parvat (mountain). Meru's height, above the ground, is 84,000 Yojan and below the ground is 16,000 Yojan. Its width on upper side is 32,000 Yojan and at the bottom is only 16,000 Yojan. Thus it looks like a lotus flower. Towards its south are Hi...

जैन प्रश्नोत्तरी

  प्र . १ .  देव   कितने   हैं  ?  बताईये। उत्तर — ‘‘देवाश्चतुर्णिकाया:’’। देव चार निकाय वाले हैं प्र . २ .  देव   कौन   कहलाते   हैं  ? उत्तर — देवगति नामकर्म के उदय होने पर जो नाना प्रकार की बाह्य विभूति सहित द्वीप समुद्रादि स्थानों में इच्छानुसार क्रीड़ा करते हैं वे देव होते हैं। प्र . ३ .  निकाय   शब्द   से   क्या   आश   है  ? उत्तर — देवगति नामकर्म के उदय की सामथ्र्य से जो संग्रह किये जाते हैं, वे ‘निकाय’ कहलाते हैं। प्र . ४ .  देवों   के   चार   निकाय   कौन   से   हैं  ? उत्तर — देवों के चार भेद (निकाय) है—भवनवासी, ज्योतिषी, व्यंतर और वैमानिकी। प्र . ५ .  चारों   प्रकार   के   देवों   के   कौन   सी   लेश्यायें   होती   हैं  ? उत्तर — ‘‘आदित स्त्रिषु पीतान्तलेश्या:’’ आदि के ३ निकायों अर्थात् भवनवासी, व्यंतर और ज्योतिषी में पीत पर्यंत चार लेश्या (कृष्ण, नील, कापोत, पीत) होती हैं। प्र . ६ .  चार ...

गिरीराज

  यह बात श्री अभिनन्दन स्वामी प्रभु  के समय की है । शुक नामक राजा का राज्य चंद्रशेखर कुटिलता से ले लेते है । शुक राजा मृगध्वज मुनि को मिलते है । मृगध्वज मुनि शुक राजा के पिता एवं केवलज्ञानी थे । मृगध्वज मुनि ने राजा को कहा कि है राजन! धर्म एक एसी चिज है जो जगत की कोई भी असंभव बात को संभव कर सकता है । यहाॅं से थोडे दूर विमलाचल नामक तीर्थ है । वहाॅं के तीर्थ नायक आदिनाथ भगवान के दर्शन करके उस पर्वत में गुफा है, वहाॅं परमेष्ठि महामंत्र का 6 माह तक जाप करने से कोई चिज एसी नहीं है जो साध्य न बन सके । जिस दिन जाप करने से गुफा में चारो ओर प्रकाश फैल जाए उस दिन समझना की सिद्धि हो गई है । कोई भी अजेय शत्रु को जितने का यही एक उपाय है । शुक राजा विमलाचल तीर्थ जाते है । पूर्ण भक्ति से विमलाचल पर्वत चढते है  और दर्शन किये । दूसरे दिन पर्वत कि गुफा में जाकर आयंबिल तप के साथ 6 माह तक साधना की । 6 माह की साधना पूर्ण होने पर चारो ओर प्रकाश फैल गया । चंद्रशेखर की गोत्र देवी ने चंद्रशेखर के पास जाकर कहा की तुम्हें दिया गया शुक राजा का रुप नष्ट होेनेवाला है । तुझे जहां जाना हो वहां चला जा । ...